Tuesday 26 November 2013

प्रो. लालबहादुर वर्मा आज़मगढ़ डी.ए.वी.पी.जी.कॉलेज के छात्रों के बीच



प्रिय मित्र, विश्व-प्रसिद्ध इतिहासविद प्रो. लालबहादुर वर्मा की विद्वत्ता और बेबाकी विलक्षण रही है.
उनका लेखन विविध और विराट है.
उनकी वक्तृता-क्षमता हर उम्र के लोगों के दिलों को झकझोर सकने में समर्थ है.
वह अपने वैचारिक विरोधियों के भी सहज सम्मान के हकदार रहे हैं.
वर्मा जी की विचार-यात्रा आज तक विकासमान है.
उनका सन्देश है कि अपने को गम्भीरता से लें, साथ ही पर एवं प्रकृति के प्रति भी गम्भीर बनें.
उनके विचारों को आज़मगढ़ के युवाओं को भी सुनने का अवसर 14.11.13. को मिला.
इसका श्रेय उनके प्रिय शिष्य डी.ए.वी.पी.जी.कॉलेज के इतिहास-विभाग के डॉ.बद्रीनाथ को है.
सरल शब्द-चयन, सुबोध शैली और गहन विश्लेषण के धनी वर्मा जी से मैंने अलग-अलग शैली में लिखना सीखा है.
जनवाद के प्रबल समर्थक प्रो. वर्मा क्रान्तिकारी आन्दोलन में चार दशकों तक खूब सक्रिय रहे हैं.
आज भी तिहत्तर वर्षों की उम्र में उनकी सक्रियता हम सब के लिये प्रेरणा का स्रोत है.
कृपया आप भी उनके विचारों को सुनिए, गुनिए, लागू कीजिए.
और साथ ही उनसे बोलने की शैली भी सीखिए.
यह 'व्यक्तित्व विकास परियोजना' द्वारा अपलोड की जाने वाली श्रृंखला का तेइसवाँ व्याख्यान है.
ढेर सारे प्यार के साथ - आपका गिरिजेश

http://www.youtube.com/watch?v=_sVgukJ7Cs0&feature=youtu.be

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