लालू जेल गए . देशभर ने सत्रह साल लम्बी राहत की सांस ली .
न्याय व्यवस्था पर भरोसा लौटा .
लालू और उन जैसे तमाम सजायाफ्ताओं की सांसदी बचाने को सभी पार्टियों की सहमति से लाया गया लाया गया अध्यादेश राहुल ने फाड़ कर फेंक दिया . याद कीजिए कि बीजेपी और वाम समेत सभी संसदीय पार्टियों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को निष्प्रभावी बनाने के लिए लाये गए विधेयक का समर्थन किया था .
सजा पा कर सांसदी गंवाने वाले लालू पहले नेता होंगे . इस ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए उन्हें बधाई.
लालू के जेल जाने से मोदीमंडली में भी खुशी की लहर है. होनी भी चाहिए .
लेकिन मोदीमंडली को खुशी के साथ चिंता भी होनी चाहिए .
आखिर इसी सीबीआइ का प्रेत मोदी के सर पर भी मंडला रहा है .
लेकिन एक प्रेत तो अभी मोदी की गोद में ही बैठा है .
मोदी के प्यारे जलसंसाधन मंत्री बाबू बोकारिया.
पिछले जून में ही अदालत द्वारा उन्हें 54 करोड़ के अवैध खनन का दोषी ठहराया जा चुका है .
चूंकि यह सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के ज़रा पहले हो गया था , इसलिए तकनीकी रूप से वे विधान सभा के सदस्य और मंत्री बने रह सकते हैं . कांग्रेस को भ्रष्टाचार का एकमात्र स्रोत बताने वाले मोदी ने इस तकनीकी सुविधा का लाभ उठा कर उन्हें अपने पद पर बनाये रखा है .
अब क्या मोदीमंडली यह बताने की तकलीफ उठायेगी कि क्या वे नरेंदर 'भाई ' से बोकारिया को बर्खास्त करने का अनुरोध करने का साहस कर पायेंगे ? फेसबुक पर ही सही !
और उसके बर्खास्त न होने की सूरत में यह कहने की हिम्मत कर पायेंगे कि इस से मोदी का भ्रष्टाचार -विरोध प्रहसन मात्र अंतिम रूप से साबित हो जाता है , जो वैसे भी पिछले दस सालों से गुजरात को ''लोकायुक्त -मुक्त '' रखने में सफल रहे हैं ?
आपका समय शुरू होता है अब .
(यह अहवाल http://www.firstpost.com/politics/lalu-verdict-welcome-but-what-about-gujarats-babu-bokariya-1141943.html पर आधारित है )
न्याय व्यवस्था पर भरोसा लौटा .
लालू और उन जैसे तमाम सजायाफ्ताओं की सांसदी बचाने को सभी पार्टियों की सहमति से लाया गया लाया गया अध्यादेश राहुल ने फाड़ कर फेंक दिया . याद कीजिए कि बीजेपी और वाम समेत सभी संसदीय पार्टियों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को निष्प्रभावी बनाने के लिए लाये गए विधेयक का समर्थन किया था .
सजा पा कर सांसदी गंवाने वाले लालू पहले नेता होंगे . इस ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए उन्हें बधाई.
लालू के जेल जाने से मोदीमंडली में भी खुशी की लहर है. होनी भी चाहिए .
लेकिन मोदीमंडली को खुशी के साथ चिंता भी होनी चाहिए .
आखिर इसी सीबीआइ का प्रेत मोदी के सर पर भी मंडला रहा है .
लेकिन एक प्रेत तो अभी मोदी की गोद में ही बैठा है .
मोदी के प्यारे जलसंसाधन मंत्री बाबू बोकारिया.
पिछले जून में ही अदालत द्वारा उन्हें 54 करोड़ के अवैध खनन का दोषी ठहराया जा चुका है .
चूंकि यह सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के ज़रा पहले हो गया था , इसलिए तकनीकी रूप से वे विधान सभा के सदस्य और मंत्री बने रह सकते हैं . कांग्रेस को भ्रष्टाचार का एकमात्र स्रोत बताने वाले मोदी ने इस तकनीकी सुविधा का लाभ उठा कर उन्हें अपने पद पर बनाये रखा है .
अब क्या मोदीमंडली यह बताने की तकलीफ उठायेगी कि क्या वे नरेंदर 'भाई ' से बोकारिया को बर्खास्त करने का अनुरोध करने का साहस कर पायेंगे ? फेसबुक पर ही सही !
और उसके बर्खास्त न होने की सूरत में यह कहने की हिम्मत कर पायेंगे कि इस से मोदी का भ्रष्टाचार -विरोध प्रहसन मात्र अंतिम रूप से साबित हो जाता है , जो वैसे भी पिछले दस सालों से गुजरात को ''लोकायुक्त -मुक्त '' रखने में सफल रहे हैं ?
आपका समय शुरू होता है अब .
(यह अहवाल http://www.firstpost.com/politics/lalu-verdict-welcome-but-what-about-gujarats-babu-bokariya-1141943.html पर आधारित है )
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